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Fish swimming from right to left आर्यान : एक अलोकिक योद्धा एक ऐसे योद्धा की कहानी जिसके आगे इंसान तो क्या देवता भी झुक गये. जुड़िये हमारे साथ इस रोमांचित कर देने वाले सफ़र पर .... कहानी प्रारंभ - बदले की भावना शीर्षक से

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Saturday 29 August 2015

नयन हमारे : सपन तुम्हारे 2

पेज – 23

“ये लो मदिरा” सारमा की आवाज से विद्युतजिह्वा का ध्यान टूटा
“एक बर्तन भर ? इतना सा ही लेकर आई ?” विद्युतजिह्वा ने सारमा के हाथ में गिलास देख कर कहा
“हा क्यों की आप ज्यादा पी कर अपना नियंत्रण खो देते हो” सारमा ने कहा 
“एक तो ये सपना सोने नहीं देता , दूसरी तुम मेरी शुभचिंतक पीने नहीं देती, बताओ मै करू तो क्या करू ?” विद्युतजिह्वा धीरे से बोला फिर रुक कर दुबारा बोला “तुम ये बताओ तुम तो मेरी सेविका हो तुम्हे मेरी बात माननी चाहिए या मुझ पर हुक्म चलाना चाहिये ?"

“नहीं मेरे प्राण रक्षक ! आप तो मेरे लिए सब कुछ है मै केवल आप की सेविका ही नहीं शुभ चिन्तक भी हूँ आप के लिए तो मेरे प्राण भी चले जाये तो भी कम है आप याद करिए मेरा ये जीवन तो आपका ही दिया हुआ है आपने ही तो मेरे प्राणों की रक्षा की है मै तो तभी से आपकी दासी हूँ” सारमा ने कहा
विद्युतजिह्वा फिर से पुरानी यादो में खो गया
एक दिन शाम के समय विद्युतजिह्वा समुद्र के किनारे घूम रहा था अचानक उसे “ बचाओ बचाओ” की करूँ चीख सुनाई दी विद्युतजिह्वा ने चारो और घूम कर देखा एक दस बारह वर्ष की गोरे रंग की सुन्दर सी दुबली पतली लम्बी सी लड़की कमर में फटा कपड़ा बांधे दौड़ती चली जारही दो अधेड़ काले रंग के मोटे मोटे आदमी उसका पीछा कर दौड़ रहे विद्युतजिह्वा भी उसी और भाग पड़ा 
विद्युतजिह्वा उन पीछा करने बालो के सामने खड़ा हो गया फिर बहुत तेज स्वर में बोला “ सावधान”

“हमें सावधान करने बाले बालक ! तू कौन है ?”एक आदमी ने रुक कर पूछा
“मेरा परिचय बाद में पहले ये बताओ तुम दोनों इस लड़की का पीछा क्यों कर रहे हो ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा
दोनों अधेड़ जोर जोर से हँसने लगे वो लड़की भी वापस आ कर डर के मारे विद्युतजिह्वा के पीछे छिप कर खडी हो गई
“तुमसे मतलब ?” एक ने पूछा
“हां क्यों की अब ये लड़की मेरे पास सुरक्षित है” विद्युतजिह्वा ने विश्वास के साथ कहा
दोनों अधेड़ एक दुसरे की और देख कर हसने लगे हसते हुए एक ने दुसरे से कहा “अब ये लड़का इसे हमसे बचाएगा” दोनों फिर जोर से हँसने लगे
फिर उनमे से एक बोला “ऐ लडके भाग यहाँ से और ये लड़की हमें दे दो”
“परंतू क्यों? ये लड़की मै तुम्हे दे दू” विद्युतजिह्वा ने पूछा
“क्यों की ये लड़की हमने इसके बाप से खरीदी है” एक ने बताया
“ओह खरीदी है तो सेवा करवाओ जिस लायक ये है वो काम लो इसे डरा क्यों रहे हो ये भाग क्यों रही है” विद्युतजिह्वा ने कहा

“हम इसका नर्म मुलायम मॉस खायेगे यही काम हमें इससे लेना है” फिर दोनों हसने लगे
“अरे हैवानो छोड़ दो इसे” कह कर विद्युतजिह्वा ने अपना धनुष बान निकाल लिया
“ऐ लडके बहुत हो गया भाग यहाँ से नहीं तो हम तेरा भी मास खा जायेगे” एक ने गुस्से में कहा
“ सावधान ! मै एक योद्धा हूँ मेरे शरीर में वीरो का रक्त है आगे बडने की कोशिश भी की तो अपनी जान से हाथ धो बैठोगे” कह कर विद्युतजिह्वा ने धनुष बान खीच लिया
“ये लड़का तो बड़ा जिद्दी है ऐसे नही मानेगा” कह कर एक अधेड़ आगे बढ़ा विद्युतजिह्वा ने तीर छोड़ दिया तीर सीधा उसके पैर में लगा वो दर्द में तड़पने लगा वही बैठ गया विद्युतजिह्वा जोर से बोला “मैंने मना किया था ना”
“ठीक है ठीक है लडके अगर तुझे इतना ही इस लड़की पर प्यार आ रहा है तो तू हमें इसका मूल्य चूका दे हम ये लड़की छोड़ देगे हम खून खराबा नही चाहते” दुसरे ने कहा
“ ठीक है बताओ तुमने इसे कितने में खरीदा था ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा 
“ हमने तो इसे एक मटके भर शराब के बदले में खरीदा था परंतू हम इसे इतने कम मूल्य पर बेचेगे नही” अधेड़ बोला

“ठीक है ये लो सोने का एक सिक्का” कह कर विद्युतजिह्वा ने अपनी कमर में बंधे कपडे के छोर से सिक्का निकल कर उनकी और उछाल दिया
“एक बार के भोजन से तो कई गुना ज्यादा मिल गया ठीक है चलो ये लड़की भी इसी की उम्र की है इसे ही इसके साथ खेलने दो” कह कर अधेड़ घायल अधेड़ की और चल पड़ा
दोनों अधेड़ को दूर जाता देख विद्युतजिह्वा उस लड़की की और मुड़ा जो डर से अभी भी कॉप रही थी, उसका गुलाबी गोरा रंग, विखरे बाल, रो रो कर लाल हुई सूजी आँखे, गालो पर सूखे आंसू, पतले सूखे ओठ, सिर झुकाए सुन्दर सी लड़की खड़ी थी विद्युतजिह्वा ने उससे पूछा “क्या नाम है तुम्हारा ?”
“सारमा” उसने कहा
“चलो तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ दू” विद्युतजिह्वा ने कहा
“नहीं मै घर नही जाउगी मेरा बाप फिर किसी को शराब के लिए बेच देगा” सारमा रोते हुए बोली
“तुम्हारी माँ तो होगी ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा
“नहीं मेरा बाप एक बार शराब के लिए उसे भी बेच आया माँ को सहन नहीं हुआ तो उसने इसी समुद्र में डूब कर जान दे दी मै भी उसी के पास जारही थी तुमने बचा लिया” सारमा ने बताया
“फिर कोई नाते रिश्तेदार कोई तो होगा ?” विद्युतजिह्वा ने फिर पूछा
“ कोई भी नही जिस पर मै भरोसा कर सकू” सारमा ने कहा
“फिर किसके साथ रहोगी कहा जाओगी ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा
“उसके साथ जो एक अनजान के लिए लड़ सकता है बिना मतलब के भी सोने का सिक्का खर्च कर सकता है” सरमा मुस्कुरा कर बोली
विद्युतजिह्वा सोचता रहा फिर बोला “ठीक है चलो” दोनों साथ साथ चल दिए
“कहा खो गए मेरे स्वामी?” सारमा की आवाज सुन कर विद्युतजिह्वा जैसे नीद से जागा हो एकदम चौक कर बोला “कुछ नही पांच साल पहले जब तुम्हे साथ लेकर आया था वही घटना याद आ गई” कह कर विद्युतजिह्वा मदिरा पीने लगा
“आज आप को फिर किसी की रक्षा करनी है” सारमा ने कहा
“अब किसकी ?” विद्युतजिह्वा ने आश्चर्य से पूछा
“आपके साथी विरूप और अरूप किसी का पूरा परिवार ले कर आये है कहते है इन्होने पांच सौ सोने की मुद्रा उधार लिए थे अब दे नहीं रहे है तो उन्हें दास बनायेगे” सारमा ने बताया
“ तो इसमे क्या नया है बनाने दो दास” विद्युतजिह्वा ने कहा
“ नहीं उनमे दो बूढ़े है वो कहते उन्हें मार देगे क्योकि बूढ़े उनके किसी काम के नहीं है” सारमा ने बताया
“कौन कौन है उस परिवार में ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा
“दो तो वही बूढ़े है एक लड़का है एक लड़की भी है सुन्दर सी” सारमा ने बताया
“ किस जाति के है ?” विद्युतजिह्वा ने पूछा

“दानव जाति के” सारमा ने बताया
“पांच सौ स्वर्ण मुद्रा तो बहुत ज्यादा है” विद्युतजिह्वा ने कहा
“उन्हें बचा लो क्यों की मैंने विरूप को बोलते सुना था बूढों को मार कर लडके को दास बनायेगे और लड़की को देह ब्यापार में लगा कर अपना कर्ज बापस लेगे ये तो गलत है ना” सारमा बोली
“ जब राजा दूर बैठ कर राज्य करे तो शासन ब्यबस्था लचर और अनुशासन ख़त्म हो जाता है दमंग मनमानी करते है बलवान कमजोर को सताता ही है” विद्युतजिह्वा ने कहा
“पूरी लंका ही परेशान है दैत्य जाति तो निरंकुश होती जा रही है परंतू आप उसे छोडिये इन्हें बचा लीजिये” सारमा ने कहा
“कैसे ? विरूप और अरूप मेरे मित्र ही नहीं मेरे आश्रय दाता भी है मै जब लंका आया तो इन्होने ही मुझे आश्रय दिया था और जिन्हें ये लेकर आये है उन्हें तो मै जानता भी नही फिर पांच सौ स्वर्ण मुद्रा इतना तो धन भी नहीं है मेरे पास” विद्युतजिह्वा ने कहा
“कैसे भी , आप राजकुमार है अन्याय के विरुद्ध लड़ना आपका धर्म है फिर चाहे अन्याय करने बाला भले ही आपका प्रिय मित्र हो या आश्रय दाता” सारमा ने कहा
विद्युतजिह्वा शांत हो कर सोचने लगा फिर धीरे से बोला “लगता है अब मुझे अपनी पहचान छिपाने की नही बल्कि उजागर करने की जरुरत है समय आ गया है की निरंकुश दैत्यों को अनुशासन सिखाऊ ठीक है आज मै अपने बाबा से मिलाने जाऊगा”
“अभी रात्रि का पहला चरण है अभी आप इन दानवों की रक्षा करिए फिर भोर में अपने बाबा से मिलाने जाइएगा अब आपको अपनी पहचान बतानी ही पड़ेगी क्यों की अब रावण अपना राज्य स्थापित करेगा उसके पहले ही अप अपना कालिकेय राज्य मजबूत करिए नहीं तो आपका सपना रावन ही तोड़ देग” सारमा बोली
“तुम तो राजनीती की अच्छी जानकार हो गई हो जबकि तुमने कोई भी शिक्षा प्राप्त नही की” विद्युतजिह्वा ने हस कर कहा
“आप भी तो कुशल योद्धा है जबकि आप ने भी कोई शिक्षा प्राप्त नही की है” सारमा बोली
दोनों हँसने लगे विद्युतजिह्वा शराब पीने लगा 

क्रमशः.......
copyright@Ambika kumar sharma


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