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Fish swimming from right to left आर्यान : एक अलोकिक योद्धा एक ऐसे योद्धा की कहानी जिसके आगे इंसान तो क्या देवता भी झुक गये. जुड़िये हमारे साथ इस रोमांचित कर देने वाले सफ़र पर .... कहानी प्रारंभ - बदले की भावना शीर्षक से

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Saturday 11 July 2015

अवसर मिले ; पकड़ लो - 10

पेज - 21

समय बीतता गया . रावण,कुम्भकर्ण,विभीषण की शिक्षा अब पूरी हो चुकी थी अब रावण एक महान योद्धा दिव्य अस्त्रों का पूर्ण जानकार , कुशल राजनीतिज्ञ था उसकी खुद की अपनी रूचिया भी संगीत,गायन,ज्योतिष में थी इनका भी वह अच्छा जानकार था . रावण में आर्य कुल और दैत्य कुल दोनों खून था वह दोनों की विशेषताओ से परिचित था .
आज शुक्राचार्य आश्रम में रावण कुम्भकर्ण और विभीषण का अंतिम दिन था उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद दीक्षांत समरोह साथ ही गुरदीक्षा देने का समय है चुकी रावण पहले से ही रक्ष संस्कृति को लेकर इतना ज्यादा प्रसिद्ध हो चूका था और दैत्य तो उसे पहले से ही अपना युवराज मानने लगे थे उसमे अपना भविष्य देख रहे थे इसलिए उसका दीक्षांत समारोह एक भब्य कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया .
परंतू शुक्राचार्य के मन में एक नया विचार था वो चाहते थे की इस कार्यक्रम के बहाने रावण को ईश्वरीय अंश .अति विशिष्ट पुरुष बना कर प्रस्तुत करे ताकि रावण की रक्ष संस्कृति को जो रावण के विरोधी भी है श्रद्धा के रूप ले तथा रावण के हर विचार को ईश्वर का विचार माने .
समारोह में माली .सुमाली . माल्यवंत और कैकसी सहित विशाल जन समुदाय उपस्थित था . रावन कुम्भकर्ण विभीषण अलग पन्ती में खड़े हुए है उनके सामने की पन्ती में आश्रम के आचार्य जन सभी को कुलपति शुक्राचार्य की प्रतीक्षा है . शुक्राचार्य आये सभी सम्मान में झुक गए . रावन कुम्भकर्ण विभीषण ने दंडवत हो कर प्रणाम किया .शुक्राचार्य ने दोनों हाथो से आशीर्वाद देने की मुद्रा में हाथ ऊपर उठाये जनसमुदाय आचार्य गण सामान्य अवस्था में हो गए अब शुक्राचार्य ने रावन सहित दोनों भाइयो को यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया तीनो भाई हाथ जोड़े खड़े थे .
शुक्राचार्य ने उपस्थित समुदाय को संबोधित करना प्रारंभ किया “ इस गुरुकुल के सम्मानित और विद्वान आचार्य , अध्ययनरत कुमार , इस आश्रम के कर्मठ कर्मचारी और सम्मानित अतिथि के रूप उपस्थित सभी जन मैंने रावण को शिक्षा देते समय हर प्रकार से परिक्षण किया रावण मैंने रावण को अदभुत क्षमता युक्त अति विशेष विद्यार्थी के रूप में पाया ऐसी क्षमता मात्र ईश्वरीय क्षमता युक्त वरद पुत्रो के पास ही होती है परिक्षण के उपरांत मेरा विश्वास है रावण में ईश्वरीय अंश है आज रावण अपनी विद्या में पूर्ण पारंगत है रावण में कुशल प्रशासक के सभी गुण है यह आपका राजा बनने के लिए पूर्णतया योग्य है . मै अपना प्रिय शिष्य आज आपको सौपता हूँ”

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