Random

Fish swimming from right to left आर्यान : एक अलोकिक योद्धा एक ऐसे योद्धा की कहानी जिसके आगे इंसान तो क्या देवता भी झुक गये. जुड़िये हमारे साथ इस रोमांचित कर देने वाले सफ़र पर .... कहानी प्रारंभ - बदले की भावना शीर्षक से

Search This Blog

Sunday 18 January 2015

निर्धारित लक्ष्य : निश्चित सफलता -1

  5

  केकषी को दीनहीन जान कर, विपत्ति का मारा जान कर विश्रवा ने स्वीकार कर लिया. केकषी विवाहिता की भाती विश्रवा आश्रम में रहने लगी केकषी ने तीन पुत्र रावन, कुम्भकर्ण और विभीषण, एक पुत्री सूर्पनखा को जन्म दिया. सुमाली की योजना के अनुसार केकषी सफलता पूर्वक कार्य कर रही थी.

  रावन बचपन से ही कुशाग्र बुध्दी का था बारह वर्ष की आयु तक रावन ने आर्यों के प्रमुख विज्ञानं ग्रन्थ वेदों का, ज्योतिष का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था रावन अब अपने पिता विश्रवा से अस्त्र शस्त्र का ज्ञान प्राप्त कर कर रहा था रावन के साथ साथ कुम्भकर्ण और विभीषण भी ज्ञान प्राप्त कर रहे थे.


  कुम्भकर्ण शरीर से विशालकाय था उसकी रूचि शोध कार्य में अधिक थी नए नए अस्त्र शस्त्र के शोध कार्य में ज्यादातर समय प्रयोगशाला में ही रहना पसंद करता था विभीषण की रुचियाँ ज्यादातर सामाजिक कार्यो में अधिक थी.




< पीछे                                                           आगे >

No comments:

Post a Comment

ShareThis

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Carousel

Recent

Subscribe
emailSubscribe to our mailing list to get the updates to your email inbox...
Delivered by FeedBurner | powered by blogtipsntricks