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केकषी को दीनहीन जान कर, विपत्ति
का मारा जान कर विश्रवा ने स्वीकार कर लिया. केकषी विवाहिता की भाती विश्रवा आश्रम
में रहने लगी केकषी ने तीन पुत्र रावन, कुम्भकर्ण और विभीषण, एक पुत्री सूर्पनखा
को जन्म दिया. सुमाली की योजना के अनुसार केकषी सफलता पूर्वक कार्य कर रही थी.
रावन बचपन से ही कुशाग्र बुध्दी
का था बारह वर्ष की आयु तक रावन ने आर्यों के प्रमुख विज्ञानं ग्रन्थ वेदों का,
ज्योतिष का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था रावन अब अपने पिता विश्रवा से अस्त्र
शस्त्र का ज्ञान प्राप्त कर कर रहा था रावन के साथ साथ कुम्भकर्ण और विभीषण भी
ज्ञान प्राप्त कर रहे थे.
कुम्भकर्ण शरीर से विशालकाय
था उसकी रूचि शोध कार्य में अधिक थी नए नए अस्त्र शस्त्र के शोध कार्य में
ज्यादातर समय प्रयोगशाला में ही रहना पसंद करता था विभीषण की रुचियाँ ज्यादातर
सामाजिक कार्यो में अधिक थी.
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