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आर्यावर्त के आरण्य क्षेत्र में कई ऋषियों के उपनिवेश बने हुए थे जहाँ प्रकृति संतुलन ,सामाजिक ब्यबस्था ,अस्त्र शस्त्र का संचालन , उन पर शोध कार्य . परिक्षण प्रयोग आदि का कार्य एवं शिक्षण कार्य होता था इन उपनिवेश के आचार्य और कुलपति को तत्कालीन राजाओ का संरंक्षण प्राप्त था इन उपनिवेश को सामान्यतयः आश्रम कहा जाता था . ये आश्रम सामाजिक ब्यबस्था में प्रमुख भूमिका निभाते थे .
उस समय के प्रमुख
आश्रमों में , वर्तमान बक्कसर (बिहार ) में विश्वामित्र आश्रम , वर्तमान फ़ैजाबाद
में श्रंगी आश्रम , वर्तमान मधुवनी ( बिहार ) में विश्वामित्र का एक अन्य उपनिवेश
, वर्तमान प्रयाग इलाहाबाद में भारद्वाज आश्रम , वर्तमान चित्रकूट (उत्तर प्रदेश
)में मंधाव आश्रम ,वर्तमान सताना(मध्य प्रदेश ), शरभंग आश्रम , अश्वमुनी आश्रम ,
सुतीक्षण आश्रम प्रमुख रूप से थे .
भारत
देश के वर्तमान पन्ना (मध्य प्रदेश )में एवं धमतरी (छात्तिश्गढ़ ) में अगस्त आश्रम
था ,
अगस्त आश्रम का मुख्यालय नासिक (महाराष्ट्र वर्तमान में ) में था अगस्त तत्कालीन समय में प्रमुख योद्धा शंकर के सामान ही अति विशिष्ट आयुधो के जानकार एवं श्वां भी पराक्रमी योद्धा थे ,परन्तु इतना अंतर था की कैलाश पति शंकर सभी संस्क्रतियो, जातियों के प्रति सामान भाव रखते थे जबकि अगस्त आर्यों की भाती ही देव संस्कृति के समर्थक थे .
अगस्त आश्रम का मुख्यालय नासिक (महाराष्ट्र वर्तमान में ) में था अगस्त तत्कालीन समय में प्रमुख योद्धा शंकर के सामान ही अति विशिष्ट आयुधो के जानकार एवं श्वां भी पराक्रमी योद्धा थे ,परन्तु इतना अंतर था की कैलाश पति शंकर सभी संस्क्रतियो, जातियों के प्रति सामान भाव रखते थे जबकि अगस्त आर्यों की भाती ही देव संस्कृति के समर्थक थे .
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