बदले की भावना : विनाश को
जन्म देती है
३
“हाँ पिता श्री आपने बताया नहीं आपकी योजना क्या है ? “केकसी ने मदिरा पान करते समय पूछा .
“केकसी मेरी योजना में तुम्हे बलिदान होना पड़ेगा“ सुमाली ने कहा
“पिता श्री मै हर बलिदान के लिए तत्पर हूँ अगर मेरी जाति का गौरव पुनःप्राप्त होता है“ केकसी
बोली
“सुमाली तुम अपनी योजना तो स्पष्ट करो“ माल्यवान ने कहा
“भ्राता आज मैंने विश्रवा के पुत्र और दुष्ट देवताओ के धनाधिपति कुबेर को
देखा“ सुमाली ने बताया
“हाँ कुबेर मय की नगरी लंका में रहता है वैसे तो उसकी नगरी अलकापुरी थी लेकिन
उससे हमें क्या?“ माली ने पूछा
“लेकिन कुबेर को तो दुष्ट देवो का और मुर्ख आर्यों का समर्थन प्राप्त है
यही नहीं मैंने तो सुना है उसे कैलाश पति शिव भी पसंद करते है वो कुबेर हमारा साथ
क्यों देगा ?” माली ने आश्चर्य से पूंछा
“कुबेर नहीं , मैंने कहाँ कुबेर जैसा“
सुमाली ने संसोधन के साथ बताया
“वो कैसे ?” माल्यवान ने पूंछा
“भ्राता अगर मेरी पुत्री विश्रवा से विबाह कर ले तो उसका पुत्र भी कुबेर
जैसा ही तेजस्वी होगा जिसे देव आर्य शैव गंधर्व सभी सम्मान देगे “ सुमाली ने बताया
“लेकिन विश्रवा का पुत्र हमारा साथ देगा या वह भी मुर्ख आर्यों की तरह
दुष्ट देवो का साथ देगा तुम्हे विश्वास है“ माल्यवान ने पूछा
“यही तो मेरी पुत्री का बलिदान होगा केकसी ने वेद का अध्धयन किया है कुशल
कूटनीति की जानकर है इसकी योग्यता ही इसके पुत्र को हमारा अस्त्र बनाएगी“ सुमाली
ने कहा
“तात मेरा पुत्र मेरी ही जाति का समर्थन करेगा“ केकसी अधीर हो कर बोली
“आयुश्वती भव ! मै जनता हूँ तुम कुशल राजनीतिक हो जाति का गौरव जानती हो
इसलिए तुम अपने पुत्र को बचपन से ही ऐसा सिखाओगी कि वो दुष्ट देवो को अपना शत्रु
मानेगा और हमारा साथ देगा “ सुमाली ने कहा
“लेकिन भ्राता विश्रवा ही क्यों ? “ माली ने शंका प्रकट की
“इसलिये क्यों की विश्रवा , पुलत्स्य के पुत्र है. पुलत्स्य के ही पुत्र आरण्य
स्थान के प्रतिष्ठित उपनिवेश के कुलपति अगस्त भी है . अगस्त देव संस्कृति के परम
हितैसी और शिव के सामान ही अस्त्र शस्त्र के जानकार है इस प्रकार हमारे भविष्य नायक के पास उनसे भी
अस्त्र शस्त्र की जानकारी और समर्थन प्राप्त होगा जो की विश्रवा और अगस्त देगे.
दैत्यों के गूढ़ रहस्य को हम सिखायेगे शेष विद्या हमारे गुरु आचार्य शुक्र देगे
.सुमाली मै तुम्हारी योजना से सहमत हूँ शेष सब केकसी पर निर्भर है “ माल्यवान ने
कहा
“इस पुत्र को हम कैलाश अधिपति शिव शंकर की सेवा में भी भेजेगे उनसे भी यह
गूढ़ विद्या प्राप्त करेगा और उनका कृपा पत्र बनेगा“ सुमाली ने कहा
“आपका कथन सत्य है भ्राता ! शंकर को दुष्ट देव महादेव की उपाधि देकर अपनी
ओर मिलाने की चेष्टा कर रहे है यह पुत्र पुनः शंकर को प्रसन्न करके हम दैत्यों की
ओर करेगा“ माली ने कहा
“तो आप सब मेरी इस योजना से सहमत है“ सुमाली ने पूंछा
सब ने हाँ
में स्वीकृति दी.
“आप सब मेरे पित्र तुल्य मुझे आशीर्वाद दे मै आपकी योजनाओ के अनुसार सही
कार्य करूँ“ कैकसी ने कहा
sir ye bhagwan sri RAM kbhi hue b the ya ye lekhako ki kalpana matra hai...or RAM RAVAN YUDHA kbhi hua b......agr ha....to krapya praman shit btaye.....
ReplyDeleteराधिका जी आपके प्रश्न का उत्तर इस लिंक पर दिया गया है.
Deletehttp://www.ambika1.blogspot.in/2015/01/blog-post_4.html